Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Butiran Saluran

Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Podcast from Samskrita Bharati (http://www.samskritabharatiusa.org)

EN India Kerohanian

Episod Terkini

52 episod
02-16-17

02-16-17

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-16-17-SBUSA-BG.mp3 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शि...

2017-10-18 06:00:32 Tempoh tidak diketahui
02-15-16

02-15-16

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-15-16-SBUSA-BG.mp3 यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ। समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।2....

2017-10-11 06:00:53 Tempoh tidak diketahui
02-13-14

02-13-14

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-13-14-SBUSA-BG.mp3 देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा | तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह...

2017-10-04 06:00:01 Tempoh tidak diketahui
02-11-12

02-11-12

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-11-12-SBUSA-BG.mp3 श्रीभगवानुवाच | अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे | गतासूनगतासूंश्च न...

2017-08-16 06:37:07 Tempoh tidak diketahui
02-09-10

02-09-10

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-09-10-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच | एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप | न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्...

2017-08-09 06:35:18 Tempoh tidak diketahui
02-08

02-08

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-08-SBUSA-BG.mp3 न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद् यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् | अवाप्य भूमावसपत्नमृद्...

2017-08-02 06:34:10 Tempoh tidak diketahui
02-07

02-07

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-07-SBUSA-BG.mp3 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं...

2017-07-26 06:31:38 Tempoh tidak diketahui
02-04-06

02-04-06

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-04-06-SBUSA-BG.mp3 अर्जुन उवाच | कथं भीष्ममहं सङ्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन | इषुभिः प्रतियोत्स्यामि प...

2017-07-19 06:30:08 Tempoh tidak diketahui
02-01-03

02-01-03

https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-01-03-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच | तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् | विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच...

2017-07-12 06:25:34 Tempoh tidak diketahui
02-71-72

02-71-72

विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहंकारः स शांतिमधिगच्छति।।2.71।।
एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति...

2016-10-03 06:21:24 Tempoh tidak diketahui
02-70

02-70

आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं
समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्।
तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
स शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।2.70।।

2016-09-26 06:20:11 Tempoh tidak diketahui
02-69

02-69

या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।2.69।।

2016-09-19 06:17:01 Tempoh tidak diketahui
02-68

02-68

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.68।।

2016-09-12 06:16:09 Tempoh tidak diketahui
02-67

02-67

इन्द्रियाणां हि चरतां यन्मनोऽनुविधीयते।
तदस्य हरति प्रज्ञां वायुर्नावमिवाम्भसि।।2.67।।

2016-09-05 06:15:26 Tempoh tidak diketahui
02-65

02-65

प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते।
प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते।।2.65।।

2016-08-29 06:10:51 Tempoh tidak diketahui
02-64

02-64

रागद्वेषवियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन्।
आत्मवश्यैर्विधेयात्मा प्रसादमधिगच्छति।।2.64।।

2016-08-22 06:09:40 Tempoh tidak diketahui
02-62-63

02-62-63

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।

क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।...

2016-08-15 06:06:36 Tempoh tidak diketahui
02-61

02-61

तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः।
वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.61।।

2016-08-08 18:06:09 Tempoh tidak diketahui
02-60

02-60

यततो ह्यपि कौन्तेय पुरुषस्य विपश्िचतः।
इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः।।2.60।।

2016-08-01 06:05:09 Tempoh tidak diketahui
02-59

02-59

विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।
रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।।2.59।।

2016-07-25 06:04:36 Tempoh tidak diketahui
02-56

02-56

दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।2.56।।

2016-07-18 06:03:35 Tempoh tidak diketahui
02-54-55

02-54-55

स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव।
स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।2.54।।

श्री भगवानुवाच
प्रजहाति यदा कामान्...

2016-07-11 06:02:16 Tempoh tidak diketahui
02-53

02-53

श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।2.53।।

2016-07-04 06:10:39 Tempoh tidak diketahui
02-52

02-52

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।2.52।।

2016-06-27 06:59:01 Tempoh tidak diketahui
02-51

02-51

कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।2.51।।

2016-06-20 06:57:08 Tempoh tidak diketahui
02-50

02-50

बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।।2.50।।

2016-06-13 06:56:15 Tempoh tidak diketahui
02-47-48

02-47-48

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।2.48।।

2016-06-06 06:55:02 Tempoh tidak diketahui
02-47

02-47

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।

2016-05-30 06:53:41 Tempoh tidak diketahui
02-46

02-46

यावानर्थ उदपाने सर्वतः संप्लुतोदके।
तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः।।2.46।।

2016-05-23 06:52:58 Tempoh tidak diketahui
02-45

02-45

त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्।।2.45।।

2016-05-16 06:51:50 Tempoh tidak diketahui
02-42-44

02-42-44

यामिमां पुष्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्िचतः।
वेदवादरताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः।।2.42।।

कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम्।

2016-05-09 06:50:24 Tempoh tidak diketahui
02-41

02-41

व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन।
बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्।।2.41।।

2016-05-02 07:48:30 Tempoh tidak diketahui
02-40

02-40

नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते।
स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।।2.40।।

2016-04-25 06:47:01 Tempoh tidak diketahui
02-39

02-39

एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां श्रृणु।
बुद्ध्यायुक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि।।2.39।।

2016-04-18 06:45:03 Tempoh tidak diketahui
02-38

02-38

सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।2.38।।

2016-04-11 06:44:24 Tempoh tidak diketahui
02-37

02-37

हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।2.37।।

2016-04-04 06:16:29 Tempoh tidak diketahui
02-36

02-36

अवाच्यवादांश्च बहून् वदिष्यन्ति तवाहिताः।
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।।2.36।।

2016-03-28 06:16:00 Tempoh tidak diketahui
02-35

02-35

भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।।2.35।।

2016-03-21 06:15:08 Tempoh tidak diketahui
02-34

02-34

अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्।
संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।2.34।।

2016-03-14 06:14:04 Tempoh tidak diketahui
02-33

02-33

अथ चैत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि।
ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि।।2.33।।

2016-03-07 08:13:21 Tempoh tidak diketahui
0:00
0:00
Episode
home.no_title_available
home.no_channel_info